म्यूचुअल फण्ड क्या हैं इसमें निवेश का तरीका

म्यूचुअल फण्ड

यह एक प्रकार का प्रकार का एक सामूहिक  निवेश होता हैं जहां पर म्यूचुअल फंड प्रबंधक द्वारा कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा किया जाता है और इस फंड में से फिर बाज़ार में निवेश किया जाता है। म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है। प्रत्येक AMC में आमतौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं।

म्यूचुअल फंड प्रबंधक निवेशको के निवेश को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है। इस प्रकार हुए फायदे-नुकसान को निवेशको में बाट दिया जाता है।

म्यूचुअल फंड के प्रकार क्या हैं?

निवेश के प्रकृति के आधार पर, म्यूचुअल फंड को व्यापक रूप से दो हेड में वर्गीकृत किया जाता है- इक्विटी फंड, डेट फंड और हाइब्रिड फंड.

इक्विटी फंड्

इक्विटी फंड वह हैं जो प्रमुख रूप से स्टॉक मार्केट इक्विटी में इन्वेस्ट करते हैं जिसमें अपनी संपत्ति के हिस्से के रूप में विभिन्न कंपनियों के शेयर खरीदते हैं। सेबी के नियमों के अनुसार, एक इक्विटी म्यूचुअल फंड को अपने फंड का कम से कम 65% इक्विटी या इक्विटी-संबंधित प्रतिभूतियों और संबंधित उत्पादों में निवेश करने के साथ-साथ कम से कम 10% फंड को ऋण उपकरणों में निवेश करने की आवश्यकता होती है।विभिन्न प्रकार के इक्विटी फंड हैं और वे इन्वेस्ट करने वाले स्टॉक के प्रकारों के आधार पर भी हैं. उदाहरण के लिए, अगर कोई फंड प्रमुख रूप से IT कंपनियों में इन्वेस्ट करता है, तो इसे आमतौर पर टेक्नोलॉजी फंड के रूप में जाना जाता है, या अगर कोई फंड बड़ी मार्केट कैप कंपनियों में इन्वेस्ट करता है, तो इसे ब्लूचिप फंड कहा जाता है.

इक्विटी फंड को उच्च जोखिम, उच्च रिटर्न वाला निवेश माना जाता है। हालाँकि, लंबी अवधि के लिए इन इक्विटी फंडों में निवेश करने से आपको शेयर बाजार से भारी रिटर्न प्राप्त हो सकता है।

डेब्ट फंड

Debt fund Investment: डेट फंड असल में म्यूचअल फंड ही होता है. इसमें कुल फंड में से कम से कम 65% सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे इसमें निवेशक बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) या फिर दूसरी स्मॉल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) के अल्टरनेट के रूप में इन्वेस्ट करते हैं. जैसे की सरकारी सिक्योरिटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल्स. फिक्स्ड डिपॉजिट का समय पूरा होते ही डेट फंड आपको फिक्स्ड रेट पर अच्छा खासा रिटर्न देते हैं.

इसमें निवेश का सबसे पहला और प्रमुख फायदा है जोखिम का न होना। इसमें आपका पैसा डूबने की संभावना बिल्कुल भी नहीं होती है। यह फंड ऐसे टूल्स में इन्वेस्ट किया जाता है जिनका रिटर्न फिक्स होता है। ऐसे में आपके पैसे डूबने की संभावना बिल्कुल भी नहीं होती। ये फंड काफी ज्यादा लिक्विड होते हैं, इन्हें खरीदना और बेचना काफी ज्यादा आसान होता है। ये निवेश के अन्य फिक्स्ड फंड टूल जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, सेविंग अकाउंट आदि से ज्यादा अच्छा रिटर्न देते हैं।

अब बात करते हैं इससे प्राप्त होने वाले रिटर्न पर लगने वाले टैक्स की, तो आपको बता दें कि इसमें इन्वेस्ट करने के बाद अगर आप तीन साल तक होल्डिंग किए रहते हैं तो आपकी आयकर स्लैब के अनुसार आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। वहीं तीन साल से अधिक समय तक होल्ड किए रहने पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। तो वहीं इसमें 50,000 रुपये तक मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री रहता है।

हाइब्रिड फंड्स

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के निवेशों, जैसे कि इक्विटी और डेब्ट को मिलाकर आपके वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक साथ निवेश किया जाता हैं।हाइब्रिड फंड को इक्विटी और डेट फंड दोनों का कॉम्बिनेशन कहा जा सकता है. वे इक्विटी, डेट और अन्य सिक्योरिटीज़ के बीच रिटर्न को स्थिर करने और जोखिमों को कम करने के लिए हाइब्रिड फंड अधिक सुरक्षित विकल्प हो सकता है हाइब्रिड म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में विविधता लाने के उद्देश्य से इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करके विकास और आय के बीच ‘संतुलन’ ढूंढना चाहते है।

म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए कौन से डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है?

म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आपको सबसे पहले KYC करानी होगी, इसके साथ लगने वाले सभी आवश्यक दस्तावेजों की सूची दी गई है – 

पहचान प्रमाण:

● आपके वर्तमान फोटो के साथ PAN कार्ड (अगर संभव हो). 
● इनमें से कोई भी – आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर ID, ड्राइविंग लाइसेंस 

एड्रेस प्रूफ:

● पासपोर्ट
● राशन कार्ड
● यूटिलिटी बिल 
● आधार (यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर)
● ड्राइविंग लाइसेंस 
● वोटर आइडेंटिटी कार्ड
● बैंक अकाउंट स्टेटमेंट 

अनिवासी निवेशकों को अपने PAN कार्ड की एक कॉपी और उनके पासपोर्ट और विदेशी और स्थायी एड्रेस की कॉपी सबमिट करनी होगी।

म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें

आपको सबसे पहले KYC करानी होगी, ये आपके पहचान के लिए होती है। इस प्रक्रिया में पहचान और पते के दस्तावेज़, जैसे आधार और  पैन कार्ड जमा करना शामिल है। KYC कि प्रक्रिया ऑनलाइन किया जाता है। आपका KYC पूरा होने पर आपको म्यूचुअल फंड चुनने और भुगतान के लिए आवेदन करना होगा।

 म्‍यूचुअल में आप एकमुश्‍त पैसा भी लगा सकते हैं और सिस्‍टेमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) के माध्‍यम से भी निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश के दो तरीके हैं डायरेक्ट और रेगुलर. डायरेक्ट प्लान के तहत आप सीधे म्‍यूचुअल फंड की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन निवेश शुरू कर सकते हैं. वहीं, आप एडवाइजर, ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से भी पैसा लगा सकते हैं. डायरेक्ट निवेश में आपको फंड हाउस को कम चार्ज देने पडते हैं. मतलब एक्सपेंस रेशियो कम होता है. रेगुलर प्लान में एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा होता है. डायरेक्ट प्लान उनके लिए सही है जो ऑनलाइन निवेश और फंड सलेक्शन से वाकिफ हैं. लेकिन, उनके लिए नहीं जो इन चीजों से ज्यादा वाकिफ नहीं हैं।

म्यूचुअल फंड में योग्यता

म्यूचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है जिसका उम्र 18 वर्ष हो आप अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम पर भी निवेश कर सकते हैं। यदि आपका बच्चा नाबालिग है ( 18 वर्ष से कम), तो उसके नाम पर निवेश करते समय आपको अपनी जानकारी देनी होगी। जब तक वह 18 वर्ष का नहीं हो जाता/ जाती है, तब तक आप खाते को मैनेज करेंगें, म्यूचुअल फंड में न्यूनतम 500 रुपए तक का निवेश कर सकते हैं। भारतीय निवासी और NRI दोनों म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। यहाँ तक कि पार्टनरशिप कम्पनियाँ, LLP, ट्रस्ट और कंपनियां भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड को कैसे खरीदें

म्यूचुअल फंड को आप एजेंट के माध्यम से या मोबाइल एप्प या एसेट मैनेजमेंट कंपनी कि बेवसाइट पर जाकर खरीद सकते हैं।म्यूचुअल फंड के ग्रोथ एंव रिटर्न को भी आनलाईन या एप्प के माध्यम से जान सकते हैं।

म्यूचुअल फंड के फायदे

म्यूचुअल फंड में आप का पैसा फंड प्रबंधक द्वारा अलग-अलग सेक्टर में और ऐसेट में निवेश किया जाता हैं जिससे एक सेक्टर में कभी मन्दी भी आती हैं तो सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता।

म्यूचुअल फंड में आप 500 या 1000 से SIP कि शुरुआत कर सकते हैं,इसे कितनें अंतराल पर सप्ताहिक, मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक जमा करना हैं ये भी आप तय कर सकते हैं और इस प्रकार कुछ समय बाद आप एक बड़ धनराशि जुटा लेंगे ।

प्रश्न: म्यूचुअल फंड को हम कब बेच सकते हैं?

उत्तर : म्यूचुअल फंड को आप कभी भी बेच सकते हैं। अधिकांश म्यूचुअल फंड की क्लोज एंड स्कीम कि एक अवधि होती हैं ये लॉक-इन अवधि 3-4 वर्ष की होती है। इस अवधि के बीतने बाद आप अपनी इच्छा के अनुसार उनकी अवधि नहीं बढ़ा सकते हैं। एक तीसरे तरीके की स्कीम है जिसमें, म्यूचुअल फंड कुछ समय के लिए लॉक-इन हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद ओपन एंडेड हो जाते हैं। इस समयावधि के बाद, आप ये फंड किसी भी समय बेच सकते हैं।

सोन

म्यूचुअल फंड्स से संबंधित प्रश्नः ( FAQS )

प्रश्नः क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर टैक्स नहीं लगता हैं?
उत्तर: 
म्यूचुअल फंड शोर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) नियम के अधीन हैं। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसें, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड लाभांश के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू हो जाता है और फंड के अनुसार स्रोत पर टैक्स कटौती की जाती है।

प्रश्नः गिल्ट फंड्स क्या होते हैं?

उत्तर : गिल्ट फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स होते हैं जो सिर्फ सरकारी बोंड्स (डेट) में इन्वेस्ट करते हैं। ऐसे इन्वेस्टर जो रिस्क लेना  चाहते हों और पुराने तरीकों पर चलकर सेक्योर्ड (सुरक्षित) सरकारी बॉन्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हों ।

प्रश्नः गोल्ड फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स क्या हैं?

उत्तर : गोल्ड फंड्स ऐसे म्युचुअल फंड्स हैं जो गोल्ड के हर प्रकार में इन्वेस्ट करते हैं। चाहे फिर वो फिज़िकल गोल्ड हो या फिर गोल्ड माइनिंग की कम्पनियाँ।

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