इनिशियल पब्लिक ऑफ़र (IPO) आवंटन प्रक्रिया जब कंपनी आईपीओ की घोषणा सार्वजनिक करती हैं,जिसमें विभिन्न श्रेणियों के निवेशक शेयरों के लिए आवेदन करते हैं।आवेदन किए गए शेयरों को उनके डीमैट और ट्रेडिंग खातों में सफलतापूर्वक जमा करने पर, इसे आईपीओ आवंटन कहा जाता है,रजिस्ट्रार आवेदनों पर कार्रवाई करते हैं, मांग और सदस्यता स्तर के आधार पर अलॉटमेंट को अंतिम रूप देते हैं और फिर ओवरसब्सक्राइब्ड आवेदकों के बीच आनुपातिक रूप से या लॉटरी प्रणाली के माध्यम से शेयर आवंटित करते है
इस प्रक्रिया में आमतौर पर लगभग 1 सप्ताह का समय लगता है।आईपीओ में जितने शेयर ऑफर किए जाते हैं, उतने ही आवेदन मिलने की स्थिति में लगभग सभी निवेशक को आईपीओ में शेयर अलॉट हो जाते हैं,पर ओवरसब्सक्राइब होने पर मामला फंस जाता हैं ,फिर आवंटन के लिए कुछ नियम हैं जिसके तहत आवंटन कि प्रकिया किया जाता हैं।
आवंटन प्रक्रिया
एक ऐसे IPO में जो ओवरसब्सक्रिप्ट नहीं है, शेयरों को आम तौर पर सभी आवेदकों में आनुपातिक रूप से वितरित किया जाता है।इसके विपरीत,ओवरसब्सक्रिप्ट IPO के लिए, एक निष्पक्ष एलोकेशन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक लॉटरी प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है।
ओवरसब्सक्रिप्शन क्या है? – Oversubscription Meaning in Hindi
IPO में ओवरसब्सक्रिप्शन तब होता है जब निवेशकों द्वारा उपलब्ध शेयरों से अधिक शेयरों की मांग की जाती है। यानी अगर एक ही शेयर के लिए 50 दावेदार आ जाते हैं यानी इश्यू 50 गुना सब्सक्राइब हो जाता है तो शेयर अलॉटमेंट के जरिए ही यह तय होता है कि किसे कितने शेयर दिए जाएंगे और किसे शेयर नहीं मिलेंगे।अच्छी कंपनी के आईपीओ हमेशा ओवरसब्सक्राइब होता हैं, यानी आईपीओ में मौजूद शेयर से ज्यादा निवेशको के आवेदन मिल जाते हैं फिर सबको शेयर का आवंटन नही हो पाता हैं। इस उच्च मांग के कारण ओवरसब्सक्रिप्ट IPO के लिए, एक निष्पक्ष आवंटन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक लॉटरी प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है। , किसी कंपनी के IPO में ओवरसब्सक्रिप्शन कंपनी के सार्वजनिक प्रस्ताव में निवेशकों की महत्वपूर्ण रुचि को दर्शाता है।
अलॉटमेंट के लिए क्या होता है कोटा?
अगर कोई आईपीओ 90 फीसदी से कम सब्सक्राइब होता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसे में आईपीओ दोबारा से लाना पड़ता है. अलॉटमेंट के लिए रिटेल निवेशकों के लिए न्यूनतम 35 फीसदी, नेशनल इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए न्यूनतम 15 फीसदी और क्वीलिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर के लिए अधिकतम 50 फीसदी कोटा निर्धारित हो सकता है.
आईपीओ आबंटन कि जांच
आईपीओ आबंटन आईपीओ आवंटन स्थिति जांच के लिए आपको पैन और डीपीआईडी/ग्राहक आईडी नंबर या बोली आवेदन संख्या की आवश्यकता होगी,वैसे तो आपने जिस ब्रोकर के जरिए आईपीओ लिया होगा, वह आपको अलॉटमेंट की जानकारी देगा, लेकिन अगर किसी वजह से जानकारी नहीं मिली तो आप खुद भी चेक कर सकते हैं. किसी आईपीओ के शेयरों के अलॉटमेंट का पता करने के लिए आपको सबसे पहले बीएसई की वेबसाइट पर जाना होगा. वहां पर आपको इश्यू की लिस्ट में से उस आईपीओ को चुनना होगा, जिसके शेयर का अलॉटमेंट आपको चेक करना है. आपसे पैन कार्ड नंबर पूछा जाएगा, जिसे डालने के बाद आपके सामने अलॉटमेंट की डिटेल्स आ जाएंगी. अलॉटमेंट चेक करने का एक दूसरा तरीका भी होता है. आपने जिस भी कंपनी का आईपीओ लिया है, उसका कोई रजिस्ट्रार होगा. आप उस रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर जाकर अलॉटमेंट की जानकारी ले सकते हैं.
शेयर अलॉटमेंट नहीं होने के कारण।
यदि किसी IPO में आपको कोई शेयर अलॉट नहीं किया गया है, तो कारण इस प्रकार हैं:
ज्यादा सब्सक्रिप्शन के मामले में आपका नाम लकी ड्रा में नहीं था।
गलत डीमैट खाता संख्या, गलत पैन, या IPO के लिए कई आवेदनों के कारण IPO के लिए आपकी बोली अमान्य थी।
पहला कारण ज्यादातर मामलों में देखा जाता है और 90% निवेशकों पर लागू होता है। सभी अच्छी ऑफर में, ओवरसब्सक्रिप्शन इतना बड़ा है कि लॉटरी / लकी ड्रा प्रक्रिया को अनुकूलित किया जाता है और कई आवेदकों को कोई अलॉटमेंट नहीं मिलता है।
IPO अलॉटमेंट में याद रखने योग्य प्रमुख बातें
सभी आवेदन के प्राप्त होने और मुद्दे को बंद करने के बाद ही सभी बोलियों की जांच की जाती है और फिर उपर्युक्त प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
शेयर केवल डीमैटीरियलाइज्ड मोड में प्राप्त किए जाएंगे और भौतिक मोड में इसका लाभ नहीं उठाया जा सकता है।
IPO अलॉटमेंट की इस पूरी प्रक्रिया में लगभग7 से 10 कार्य दिवस लगते हैं। यदि शेयर आंशिक रूप से/अलॉट नहीं किए जाते हैं, तो भुगतान की गई राशि स्रोत खाते में वापस कर दी जाएगी।
निष्कर्ष
आईपीओ की स्थिति सामूहिक विश्वास का संकेत है जिसे कंपनी शेयर बाजार में हासिल करने में कामयाब होती है। एक बार आवंटन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, शेयरों को कुछ दिनों के भीतर एक्सचेंज पर सूचीबद्ध किया जाता है जो फिर इसे व्यापार के लिए खोल देता है। आईपीओ आवंटन प्रक्रिया यह निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश में किसे शेयर मिलेंगे, सेबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार। यह निवेशकों को योग्य संस्थागत खरीदारों, गैर-संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों में वर्गीकृत करता है। बोली लॉट और ओवरसब्सक्रिप्शन नियमों जैसे कारकों को समझना अपेक्षाओं को प्रबंधित करने में मदद करता है। बड़े आवेदनों से बचना, कट-ऑफ कीमतों पर बोली लगाना और सटीक फॉर्म विवरण जैसी रणनीतियाँ आवंटन की संभावनाओं को बढ़ाती हैं। शेयर निवेशकों के खातों में जमा किए जाते हैं और स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने के बाद ट्रेडिंग शुरू होती है। आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) में निवेशकों के लिए आईपीओ आवंटन प्रक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शेयर वितरण निर्धारित करती है।