शेयर बाजार में फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग का क्रेज पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है. क्योंकि, यह कम समय और कम पैसे में ज्यादा मुनाफे कमाने का एक शानदार जरिया है. लेकिन, बिना ज्ञान व समझ के इस F&O ट्रेडिंग में कई लोग बर्बाद हुए हैं।
सेबी ने पहले ही सभी मीडिया प्लेटफॉर्म और ब्रोकर्स को डिस्क्लेमर देने को कहा है, जिसमें वे ऑप्शन ट्रेडर्स को यह सूचना देते हैं कि 10 में से 9 ऑप्शन ट्रेडर्स नुकसान करते हैं और यह नुकसान 50 हज़ार तक होता है. साथ ही ऑप्शन ट्रेडिंग में ब्रोकिंग चार्जेस और टैक्स भी लगता है.
इन वॉर्निंग के बावजूद ऑप्शन ट्रेडर्स की संख्या बढ़ती जा रही है।
ऑप्शन ट्रेडिंग एक जोखिम भरा निवेश है, और इसमें भारी नुकसान होने की संभावना हमेशा बनी रहती है।
सेबी स्टॉक मार्केट को रेगुलेट सेबी ( सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) करता हैं। सेबी ने डेटा जारी किया हैं।
जिसमें बताया गया हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग में 90% निवेशक अपना लॉस करते हैं। तो आप सोचेंगे 10% वाले निवेशक में कैसे आए? पर पिक्चर अभी बाकी है ।
बचे हुए 10% में 8% अपनी पूंजी बचा पाते हैं। और 2% के पास पूरा प्रॉफिट जाता हैं।
आप्शन ट्रेडिंग में लाॅस क्यों होता हैं ?
1)आप बाजार की बेसिक्स को नहीं समझते हैं।
2)यदि बेसिक्स को समझते हैं तो इमोशनल निर्णय आपके ऊपर हावी है।
ऐसे व्यक्ति जो बाजार की बेसिक्स ही नहीं समझते हैं या फिर यूं कहें कि प्राइस, बिडिंग, डिमांड, सप्लाई इत्यादि की समझ नहीं रखते हैं तो फिर उनके नुकसान के लिए कुछ कहा ही नहीं जा सकता है क्योंकि बिना तैराकी जाने बहती नदी में कूदना का परिणाम पहले से तय होता है।
ओवर-ट्रेडिंग भी लॉस होने का एक मुख्य कारण हैं।
इन अवधारणाओं और शब्दावली की समझ न होने के चलते ट्रेडर्स को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
लाॅस बचने के लिए मुख्य नियम व शर्ते क्या हैं।
खुद को एजुकेट करें, लगातार सीखें
ऐसे निवेशक को चाहिए कि पहले वह सिस्टम की समझ बढ़ाएं और ज्ञान हासिल करें। शेयर मार्केट के बारिकियां लगातार सीखते रहें. ऑप्शन ट्रेडिंग के प्रिंसिपल को समझें, चाहे कोई इक्विटी, कमोडिटी या डेरिवेटिव (एफएंडओ) बाजारों में ट्रेडिंग कर रहा हो या निवेश कर रहा हो, यह जानना महत्वपूर्ण है कि बाजार कैसे काम करता है. बाजार के बारे में अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करना बेहद जरूरी है. विशेष रूप से ऑप्शंस ट्रेडिंग से पहले, किसी को डेरिवेटिव बाजार में उतरने से पहले स्ट्राइक प्राइस, प्रीमियम, इम्प्लाइड वोलैटिलिटी, कॉल/पुट, ग्रीक और रणनीतियों जैसी बुनियादी अवधारणाओं को समझ लेना चाहिए.जिसमें ऑप्शन कैसे काम करते हैं. कैसे मार्केट में कौन सी स्ट्रेटेजी अपनानी चाहिए, ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस कैसे चुनें, ट्रेड में कितना रिस्क शामिल है, ये सभी बातें लगातार मार्केट से सीखते रहें।
रिस्क मैनेजमेंट
आप्शन ट्रेडिंग में हाई रिस्क होता है. आपको ट्रेड लेने से पहले पता होना चाहिए कि आप इस ट्रेड में कितना लॉस ले सकते हैं. केवल वही पैसा लगाएं जिसे आप खोने का जोखिम उठा सकते हैं. ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने रिस्क मैनेज कर ली तो समझिये आधा मैदान मार लिया, इसलिए रिस्क मैनेज करना और हाई रिस्क से बचना महत्वपूर्ण है।
स्टॉप लॉस
ट्रेड लेते समय स्टॉप लॉस जरूर लगायें । ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस की जरूरत ठीक वैसे ही है जैसे जिंदगी में सांस, गाड़ी में ब्रेक, विद्यार्थी के लिए शिक्षक, मरीज के लिए डॉक्टर।
ओवर-ट्रेडिंग न करें ।
कुछ ट्रेडर्स लाॅस हो जाने पर उसको रिकवर करने के लिए ओवर ट्रेडिंग करते हैं, तो कुछ ट्रेडर्स प्रॉफिट हो जाने पर लालच में और प्रॉफिट के लिए ओवर ट्रेडिंग करते हैं जिससे उनका और नुकसान हो जाता हैं। अपने ट्रेड लेने का नियम बनाए और ओवर ट्रेडिंग करने से बचे ।
बाजार में कई ट्रेडर ऐसे भी हैं जो इंडिकेटर के ज्ञान को बेसिक्स समझते हैं। तो ध्यान रखे इंडिकेटर का ज्ञान कभी भी बाजार के सिस्टम का ज्ञान नहीं होता है। यह सिर्फ वो लुभावना हथियार है जो निवेशक को ज्ञानवान प्रदर्शित कराते हुए बाजार में बने रहने के लिए प्रेरित कर देता है।
निष्कर्ष
आप्शन ट्रेडिंग में लाॅस को रोकने या कम करने के लिए अनुशासित निवेश प्रथाओं, स्वतंत्र विश्लेषण, मूलभूत सिद्धांतों पर निरंतर घड़ी, तकनीकी और समाचार और भावनाओं पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है. हर ट्रेंड्स को लालची प्रवृत्ति मानसिक गतिविधियों से बचना चाहिए और उन्हें व्यापक अनुसंधान और बाजार गतिशीलता की स्पष्ट समझ का पालन करना चाहिए.किसी भी ट्रेड से कोई इमोशन न जोड़ना और किसी भी समय ट्रेड से बाहर निकलने के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए. ऊपर उल्लिखित सुझाव जैसे स्टॉप लॉस, अप्रत्याशित बाजार उतार-चढ़ाव के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा नेट प्रदान कर सकता है।